Narayan Bali Shradh
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त्रिपिंडी श्राद्ध
वायु पुराण आदि कई पुराणों में आया है कि किसी प्रेत ने एक वैश्य से कहा कि 'आप मेरे नाम से गयाशिर में पिंडदान कर दे, इससे हमारी प्रेत योनि से मुक्ति हो जायेगी। मेरा संपूर्ण धन आप ले लें और उसे लेकर मेरे उद्देश्य से गया श्राद्ध कर दें। इसके बदले में मैं अपनी संपत्ति का छठा अंश आपको पारिश्रमिक के रूपमें दे रहा हुँ। मैें अपना नाम गोत्र आदि भी बता रहा हूँ। प्रेत के अनुरोध पर उस वनिक्ने गया की यात्रा की और गयासिर में जाकर उस प्रेत के निमित्त पिंड प्रदान किया और उसके बाद अपने पितरों का भी पिंड दान किया। पिण्डदान के प्रभाव से वह प्रेत, प्रेत योनि से मुक्त हो गया।