Narayan Bali Shradh
-
-
फल्गु गया
फल्गु गया का प्रथम तीर्थ है। गया पहुँच कर सर्वप्रथम फल्गु तीर्थ में ही श्राद्ध सम्पन्न होता है। गया के तीर्थो में फल्गु का विशेष महत्व है।
इसे गया का शिरोभाग तथा आभयनतर तीर्थ कहा गया है। फल्गु तीर्थ में स्नान करके भगवान गदाधर का दर्शन करने से सभी पुण्य फलो की प्राप्ति होती है। भुतल्पर समुद्रपर्यन्त जितने भी तीर्थ और सरोवर हैं,
वे सब प्रतिदिन एक बार फल्गु तीर्थ में आया करते हैं। तीर्थराज फल्गु तीर्थ में जो श्राद्धा के साथ स्नान करता है, उसका वह स्नान पितरों को ब्रह्म लोक की प्राप्ति कराने वाला तथा अपने लिये भोग और मोक्ष की सिद्धि करने वाला होता है।
(अग्निपुराण अ० ११५/२५__३०)। फल्गु अमृत की धारा बहाती है। यहाँ पितरों के उद्देश्य से किया हुआ दान अक्षय होता है। गया जानेपर प्रतिदिन फल्गु में स्नान कर अन्य पदों में श्रद्धा आदि की विधि है।
"नारद पुराण" में बताया गया है कि फल्गु तीर्थ में श्राद्ध करने से पितरों की तथा श्राद्ध कर्ता की भी मुक्ति होती है। पूर्व काल में ब्रह्माजी की प्रार्थना से भगवान विष्णु स्वयं फल्गु रूप से प्रकट हुए थे। समस्त लोकों में जो संपूर्ण तीर्थ हैं,
वे सब फल्गु तीर्थ में स्नान करने के लिये आते हैं। गंगाजी भगवान विष्णु का चर्णोदक हैं और फल्गु रूप में साक्षात भगवान् आदि गदाधर प्रकट हुए हैं। वे स्वयं ही द्रव (जल) रूप में विराजमान हैं,
फल्गु में स्नान करते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिये।