Narayan Bali Shradh

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Chand Chaura Murcha Gali Ainadai Thakurbari Bikanery Marwary Bhojnalay Mishra Market, Gaya - Bihar (India)

अक्षय वट

अक्षय वट/p>



          अक्षयवट भी एक ऐसी ही वेदी है, जहां पिंडदान किए बिना श्राद्ध पूरा नहीं होता. पितृपक्ष के अंतिम दिन गया के माड़नपुर स्थित अक्षयवट स्थित पिंड वेदी पर श्राद्ध कर्म कर पंडित द्वारा दिए गए सुफल के बाद ही श्राद्ध कर्म को पूर्ण या सफल माना जाता है.

          अक्षयवट वेदी पर खोआ, खीर से पिंडदान करने की परंपरा है. मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितर को सनातन अक्षय ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है. गया में पिंडदान, कर्मकांड की शुरुआत फल्गु से होती है.
           वहीं अंत अक्षयवट में होता है. ब्रह्म योनि पहाड़ की तलहटी में स्थित अक्षयवट वेदी के संबंध में मान्यता है कि यह सैकड़ों वर्ष पुराना वृक्ष है, जो आज भी खड़ा है. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक अक्षयवट के निकट भोजन करने का भी अलग महत्व है. अक्षयवट के पास पूर्वजों को दिए गए भोजन का फल कभी समाप्त नहीं होता.

          गया में इस अक्षयवट के बारे में कहा जाता है कि इसे भगवान ब्रह्मा ने स्वर्ग से लाकर यहां रोपा था. इसके बाद मां सीता के आशीर्वाद से अक्षयवट की महिमा विख्यात हो गई. मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्री राम, लक्ष्मण और सीता के साथ गया में श्राद्ध कर्म के लिए आए थे. 
          इसके बाद राम और लक्ष्मण सामान लेने चले गए. इतने में राजा दशरथ प्रकट हो गए और सीता को ही पिंडदान करने के लिए कहकर मोक्ष दिलाने का निर्देश दिया. माता सीता ने फल्गु नदी, गाय, वटवृक्ष और केतकी के फूल को साक्षी मानकर पिंडदान कर दिया

                

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